इन दिनों अधिकांश जैन काव्य-मंचो का आरंभ अनामिका जैन 'अम्बर' की इस महावीर वंदना से हो रहा हैं...
इस कविता में कवियित्री का अवतार से आशय महावीर के पुनर-जन्म से नही अपितु महावीर के गुणों को धरे कोई जन्म ले...इस भाव से है....
औरो की पीर देख छलकने लगे जब नीर।
तो जानलो अवतार लेने आ रहे महावीर॥
संदेश फैले चारो और नेह-प्यार के।
और हौंसले भी हों बुलंद सद-विचार के॥
जब क्रोध-मान-माया-लोभ हो उठे अधीर।
तो जानलो अवतार लेने आ रहे महावीर॥
करुणा-दया की आज डवां-डोल नाव है।
और क्रूर आँधियों का भी कैसा प्रभाव है॥
ऐसे में मुस्कुरा उठे दिल में सुलगती पीर।
तो जानलो अवतार लेने आ रहे महावीर॥
दस्तक दे यदि प्यार ही दिल के कपाट पर।
जल-पान करें सिंघ-गाय एक घाट पर॥
फूलो के हार में यदि ढलने लगे शमशीर।
तो जानलो अवतार लेने आ रहे महावीर॥
-अनामिका जैन 'अम्बर'
2 comments:
Nice Anamika G i like ur & saurabh G's poems
So nice Anamika G i like ur & Saurabh G's poem
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